एक्सप्लेनर : गुजरात में कहां से आती है ड्रग्स, कौन खरीदता-बेचता है इन्हें
Drugs in Gujarat : भारतीय नौसेना और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 27 फरवरी को साझा अभियान में पोरबंदर के तट के करीब अब तक की सबसे बड़ी ड्रग्स की खेप पकड़ी. पहले भी तटीय इलाकों और गुजरात सीमा पर ड्रग्स पकड़ा जाता रहा है. सवाल ये उठता है कि ये ड्रग्स गुजरात में कहां से पहुंचती है और किसे खरीदता-बेचता कौन है?
भारतीय नौसेना और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 27 फरवरी को साझा अभियान के तहत पोरबंदर के तट के नजदीक 3,300 किग्रा ड्रग्स की खेप पकड़ी. नौसेना के मुताबिक, ऑपरेशन में 3,089 किग्रा चरस, 158 किग्रा मेथम्फेटामाइन और 25 किग्रा मॉर्फीन जब्त की गई. बीत कुछ साल में राष्ट्रीय और राज्य स्तर की कई एजेंसियों ने गुजरात में भारी मात्रा में नशीली दवाएं जब्त की हैं. ज्यादातर बार गुजरात के कच्छ, जामनगर, सौराष्ट्र की कुछ जगह और दक्षिण गुजरात में ड्रग्स की बड़ी खेप जब्त की गई हैं. सवाल ये उठता है कि आखिर गुजरात में ड्रग्स आती कहां से हैं? वहीं, गुजरात में इन्हें खरीदता और बेचता कौन है?
गुजरात पुलिस ने 2023 में कच्छ के गांधीधाम से 30 किमी दूर मीठी रोहर गांव के समुद्र तट से 80 किग्रा कोकीन बरामद की थी. इससे पहले 2021 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने मुंद्रा बंदरगाह से करीब 21,000 करोड़ रुपये की 3,000 किग्रा ड्रग्स जब्त की गई थी. इससे पहले भी गुजरात के अलग-अलग इलाकों में ड्रग्स की बड़ी-बड़ी खेप बरामद की गई हैं. सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि हाल के दिनों में गुजरात में बरामद ड्रग्स पाकिस्तान, अफगानिस्तान या ईरान से आती है. नौसेना की जब्त की गई ड्रग्स की खेप की जांच में अफगानी नागरिकों के नाम भी सामने आ रहे हैं. उनके बारे में पूछताछ की गई है.
तालिबान की आय का बड़ा जरिया है वसूली
माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में सत्ता बदलने के कारण मादक पदार्थों की तस्करी में बढ़ोतरी हुई है. दरअसल, अफीम की पैदावार करने वाले किसानों और तस्करों से जबरन वसूली से तालिबान की सबसे बड़ी आमदनी होती है. ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में कुल अफीम उत्पादन का 80 फीसदी अफगानिस्तान में होता है. इससे हेरोइन समेत कई नशीले पदार्थ बनाए जाते हैं. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो अगर किसी व्यक्ति को 5 ग्राम तक हेरोइन के साथ पकड़ता है तो इसे छोटी मात्रा माना जाता है. वहीं, 250 ग्राम या ज्यादा हेरोइन को बड़ी मात्रा माना जाता है. इसको खरीद-बिक्री से जोड़कर देखा जाता है.
माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में सत्ता बदलने के कारण मादक पदार्थों की तस्करी में बढ़ोतरी हुई है. दरअसल, अफीम की पैदावार करने वाले किसानों और तस्करों से जबरन वसूली से तालिबान की सबसे बड़ी आमदनी होती है. ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में कुल अफीम उत्पादन का 80 फीसदी अफगानिस्तान में होता है. इससे हेरोइन समेत कई नशीले पदार्थ बनाए जाते हैं. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो अगर किसी व्यक्ति को 5 ग्राम तक हेरोइन के साथ पकड़ता है तो इसे छोटी मात्रा माना जाता है. वहीं, 250 ग्राम या ज्यादा हेरोइन को बड़ी मात्रा माना जाता है. इसको खरीद-बिक्री से जोड़कर देखा जाता है.
तस्करी के लिए इस्तेमाल होते रहे हैं बंदरगाह
गुजरात के सलाया, ओखा, मांडवी और सौराष्ट्र बंदरगाह कुछ साल पहले तक सोना, घड़ियां या इलेक्ट्रॉनिक सामान की तस्करी का रास्ता बनते थे. इसके लिए ‘धव’ नाम के छोटे देशी जहाज का इस्तेमाल किया जाता था. बता दें कि 1993 में पोरबंदर के गोसाबारा बंदरगाह पर आरडीएक्स और घातक हथियारों की खेप उतरी थी. इस खेप का इस्तेमाल बॉम्बे ब्लास्ट में किया गया था. कुछ साल से गुजरात का इस्तेमाल ट्रांजिट रूट के तौर पर किया जा रहा है. कुछ समय पहले तक ड्रग्स कच्छ, पंजाब और राजस्थान की सीमाओं के पार सुरंगों या पाइपों के जरिये भारत में पहुंचाए जाते थे.
गुजरात के सलाया, ओखा, मांडवी और सौराष्ट्र बंदरगाह कुछ साल पहले तक सोना, घड़ियां या इलेक्ट्रॉनिक सामान की तस्करी का रास्ता बनते थे. इसके लिए ‘धव’ नाम के छोटे देशी जहाज का इस्तेमाल किया जाता था. बता दें कि 1993 में पोरबंदर के गोसाबारा बंदरगाह पर आरडीएक्स और घातक हथियारों की खेप उतरी थी. इस खेप का इस्तेमाल बॉम्बे ब्लास्ट में किया गया था. कुछ साल से गुजरात का इस्तेमाल ट्रांजिट रूट के तौर पर किया जा रहा है. कुछ समय पहले तक ड्रग्स कच्छ, पंजाब और राजस्थान की सीमाओं के पार सुरंगों या पाइपों के जरिये भारत में पहुंचाए जाते थे.
तटीय इलाकों की कैसे की जाती हे निगरानी
गुजरात में देश की सबसे लंबी करीब 1,600 किमी लंबी तटरेखा है. लिहाजा, राज्य में 30,000 से ज्यादा नाव और छोटे जहाज रजिस्टर हैं. इसलिए खुले समुद्र में अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में उनकी गतिविधियों की निगरानी करना मुश्किल हो जाता है. खुफिया एजेंसियों की ओर से मिली जानकारियों और मछुआरों के बीच मौजूद मुखबिरों के नेटवर्क की मदद से भारत आने वाले जहाजों पर नजर रखी जाती है. इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियों, नौसेना और कोस्ट गार्ड्स की ओर से समुद्र में इस्तेमाल की जाने वाली रेडियो फ्रिक्वेंसीज की मदद से भी देश की ओर बढ़ने वाले जहाजों की निगरानी की जाती है.
गुजरात में देश की सबसे लंबी करीब 1,600 किमी लंबी तटरेखा है. लिहाजा, राज्य में 30,000 से ज्यादा नाव और छोटे जहाज रजिस्टर हैं. इसलिए खुले समुद्र में अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में उनकी गतिविधियों की निगरानी करना मुश्किल हो जाता है. खुफिया एजेंसियों की ओर से मिली जानकारियों और मछुआरों के बीच मौजूद मुखबिरों के नेटवर्क की मदद से भारत आने वाले जहाजों पर नजर रखी जाती है. इसके अलावा सुरक्षा एजेंसियों, नौसेना और कोस्ट गार्ड्स की ओर से समुद्र में इस्तेमाल की जाने वाली रेडियो फ्रिक्वेंसीज की मदद से भी देश की ओर बढ़ने वाले जहाजों की निगरानी की जाती है.
गुजरात में कौन बेचता और खरीदता है ड्रग्स
गुजरात एटीएस के डिप्टी एसपी भावेश रोजिया ने बीबीसी को बताया था कि गुजरात से जब्त की गई ड्रग्स उत्तर भारत पहुंचाई जाती हैं. ड्रग्स के गुजरात पहुंचने के बाद वे अलग-अलग लोगों के जरिये दिल्ली और पंजाब में पहुंचाई जाती है. ड्रग्स को गुजरात से बाहर भेजने के तरीकों पर उन्होंने बताया था कि ड्रग्स के यहां पहुंचने के बाद उन्हें ट्रेन, बस या कार के जरिये गुजरात से बाहर ले जाया जाता है. जब्त की गई ड्रग्स गुजरात में कोई एक व्यक्ति नहीं मंगाता है. हर बार उन्हें अलग-अलग लोगों की ओर से भेजा जाता है और अलग-अलग लोग उन्हें गुजरात से बाहर ले जाने की कोशिश करते हैं. ज्यादातर लोग पहले ही पकड़े जाते हैं
गुजरात एटीएस के डिप्टी एसपी भावेश रोजिया ने बीबीसी को बताया था कि गुजरात से जब्त की गई ड्रग्स उत्तर भारत पहुंचाई जाती हैं. ड्रग्स के गुजरात पहुंचने के बाद वे अलग-अलग लोगों के जरिये दिल्ली और पंजाब में पहुंचाई जाती है. ड्रग्स को गुजरात से बाहर भेजने के तरीकों पर उन्होंने बताया था कि ड्रग्स के यहां पहुंचने के बाद उन्हें ट्रेन, बस या कार के जरिये गुजरात से बाहर ले जाया जाता है. जब्त की गई ड्रग्स गुजरात में कोई एक व्यक्ति नहीं मंगाता है. हर बार उन्हें अलग-अलग लोगों की ओर से भेजा जाता है और अलग-अलग लोग उन्हें गुजरात से बाहर ले जाने की कोशिश करते हैं. ज्यादातर लोग पहले ही पकड़े जाते हैं
पाकिस्तान के माफिया ने भेजी थी ड्रग्स की खेप
गुजरात एटीएस और कोस्ट गार्ड ने संयुक्त अभियान में जो ड्रग्स पकड़ी है, उसकी कीमत करीब 280 करोड़ रुपये है. गुजरात एटीएस का कहना है कि पाकिस्तान के ड्रग माफिया मुस्तफा ने ‘अल हज’ नाम की नाव से करोड़ों रुपये की ड्रग्स पाकिस्तान से भेजी थी. ये ड्रग्स गुजरात के रास्ते उत्तर भारत पहुंचाई जानी थी. गुजरात एटीएस को इसकी जानकारी पहले ही मिल गई थी. उन्होंने कोस्ट गार्ड के साथ इस नाव को बीच रास्ते में पकड़ लिया. तटरक्षक बल ने जब नाव को घेर लिया तो चालक ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसे भी दबोच लिया गया. नाव में मौजूद 9 पाकिस्तानी नागरिकों को हेरोइन के साथ हिरासत में लेने के बाद एटीएस और एनसीबी ने अलग-अलग टीमें बनाकर उत्तर भारत के कई राज्यों में जांच शुरू कर दी है.
गुजरात एटीएस और कोस्ट गार्ड ने संयुक्त अभियान में जो ड्रग्स पकड़ी है, उसकी कीमत करीब 280 करोड़ रुपये है. गुजरात एटीएस का कहना है कि पाकिस्तान के ड्रग माफिया मुस्तफा ने ‘अल हज’ नाम की नाव से करोड़ों रुपये की ड्रग्स पाकिस्तान से भेजी थी. ये ड्रग्स गुजरात के रास्ते उत्तर भारत पहुंचाई जानी थी. गुजरात एटीएस को इसकी जानकारी पहले ही मिल गई थी. उन्होंने कोस्ट गार्ड के साथ इस नाव को बीच रास्ते में पकड़ लिया. तटरक्षक बल ने जब नाव को घेर लिया तो चालक ने भागने की कोशिश की, लेकिन उसे भी दबोच लिया गया. नाव में मौजूद 9 पाकिस्तानी नागरिकों को हेरोइन के साथ हिरासत में लेने के बाद एटीएस और एनसीबी ने अलग-अलग टीमें बनाकर उत्तर भारत के कई राज्यों में जांच शुरू कर दी है.
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